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The Train... beings death 26



कमल नारायण ने इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को आयाम द्वार से जुड़ी पूरी कहानी सुना दी थी। कहानी के खत्म होते ही इंस्पेक्टर कदंब शांति से कमल नारायण की तरफ देख रहे थे। वही नीरज के मन में बहुत सारे प्रश्न उमड़ रहे थे.. जिनके जवाब नीरज कमल नारायण से पूछना चाहता था। नीरज इंस्पेक्टर कदंब के बारे में सोचते हुए शांत बैठा था.. लेकिन नीरज की हावभाव बता रहे थे कि ज्यादा देर तक नीरज अपने आप को नहीं रोक पाएगा।


 इसीलिए इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "नीरज..! जो भी सवाल है तुम्हारे.. पूछ लो! नहीं तो तुम्हें चैन नहीं मिलेगा!"


 नीरज ने मुस्कुराते हुए हां में अपनी गर्दन हिलाई और कमल नारायण से पूछा, "आपने बताया था कि आयाम द्वार को आपके गुरु आचार्य चतुरसेन और आचार्य अग्निवेश ने बंद कर दिया था। साथ ही साथ आपके मित्र गौतम ने उस स्थान की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे। तो फिर यह ट्रेन का क्या सीन है? इसका आना जाना कैसे, क्यों और कब शुरू हुआ? और आप सभी जब आश्रम वापस आ गए तब किसी ने भी आपके दोस्तों आत्मानंद, वैदिक और गौतम के बारे में नहीं पूछा? जहां तक हमें पता चला है कि आप भवानीपुर में नहीं रहते.. आप अपनी पोती लक्ष्मी के बारे में सुनकर ही भवानीपुर आए थे? भवानीपुर छोड़ने का क्या कारण था?"


 कदंब ने भी इंस्पेक्टर नीरज की हां में हां मिलाते हुए कहा, "जी कमल नारायण जी..! हम भी यही जानना चाहते हैं कि सब कुछ अच्छे से होने के बाद भी ट्रेन का क्या मैटर है? क्योंकि जिस तरह के जानवर भवानीपुर में देखने को मिल रहे हैं.. उस तरह के जानवरों के बारे में आज तक ना तो कहीं पढ़ने को मिला है और ना ही किसी ने सुना है। देखने सुनने का तो छोड़ों किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऐसी भी जानवरों का ब्रह्माण्ड में अस्तित्व भी होगा।  तो फिर उनका ट्रेन के साथ क्या संबंध है और वह यहां कैसे आ रहे हैं?"


 यह सवाल कमल नारायण के लिए भी चिंता पैदा करने वाले थे। कमल नारायण जी ने एक गहरी सांस ली और धीरे-धीरे फिर से बोलना शुरू किया, "इंस्पेक्टर..! जितना हमने सुना है और हमारी पोती लक्ष्मी की हालत देखकर पता चला है। उस हिसाब से यह बात निश्चित है कि आयाम द्वार खुल गया है। यह विचित्र जीव उसी आयाम द्वार से आ जा रहे हैं।"


 कमल नारायण जी की बात नीरज को समझ में नहीं आई थी। इसीलिए नीरज ने सवाल किया, "चलिए.. आपकी बात मान लेते हैं कि आयाम द्वार खुल गया होगा। पर फिर वह सारे जानवर ट्रेन से ही क्यों आ जा रहे हैं?"


 "इसके लिए मुझे वापस उसी जगह जाना होगा.. जहां पर हमने उस समय अनुष्ठान किया था!" कमल नारायण जी ने जवाब दिया।


 कमल नारायण जी से बातें करते करते काफी देर हो गई थी। सुबह के लगभग 5:30 बज चुके थे। डॉक्टर के राउंड पर आने का समय हो गया था। अभी तक कदंब, नीरज और कमल नारायण जी ट्रेन.. आयाम द्वार.. इन्हीं सब बातों के बारे में बातें कर रहे थे। तभी डॉक्टर ने रूम में कदम रखा। 


इतनी देर तक डॉक्टर कदंब और नीरज को कमल नारायण जी से बातें करते देखकर हैरान रह गया और इंस्पेक्टर कदंब से बोला, "इंस्पेक्टर..! आपको तो कमल नारायण जी की हालत पता ही है। फिर भी पिछले 3 घंटों से आप लोग कमल नारायण जी से बातें कर रहे हैं। अगर उनकी हालत बिगड़ी तो..?"


 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को इस बात का एहसास हो गया था कि उन्होंने कमल नारायण जी से लंबी बातें करके उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ किया था। तभी कमल नारायण जी ने कहा, "डॉक्टर..! यह बातें बहुत ज्यादा जरूरी थी। अगर आज नहीं होती तो हो सकता था कि इन बातों में काफी देर हो जाती। आप सभी को तो भवानीपुर के हालातों के बारे में पता ही है। केवल मैं ही हूं जो इस सब से बचाव के उपाय के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखता है। ऐसे में अगर भवानीपुर के लोगों और बाकी लोगों की जान बचाने में मुझे कुछ हो जाता है.. तो यह बहुत ज्यादा घाटे का सौदा नहीं होगा।"


 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज कमल नारायण जी की बातों से प्रभावित लग रहे थे। डॉक्टर ने कमल नारायण जी की नब्ज देखते हुए कहा, "देखिए..! आप लोग पूरी रात से कमल नारायण जी से बातें कर रहे थे। अब तक तो आपको सारी जानकारियां मिल गई होंगी। साथ ही में और भी बहुत कुछ पता कर लिया होगा। इसीलिए अब आप थोड़ी देर कमल नारायण जी को रेस्ट करने दीजिए। अगर अभी भी कुछ बाकी रहता है तो वह आप दिन में आकर पूछ लीजिएगा। फिलहाल के लिए उनका आराम करना ज्यादा जरूरी है।"


 इंस्पेक्टर कदंब को डॉक्टर की बात बिल्कुल सही लगी। उन्होंने कमल नारायण जी से कहा, "कमल नारायण जी..! हम दिन में आपसे वापस आकर मिलते हैं। अगर इन सब से छुटकारे का कोई उपाय आपके पास हो तो आप उसे अच्छे से याद करके रखिएगा ताकि हम उस पर आगे काम कर सके।"


 कमल नारायण जी ने हां में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल.. इस सब के लिए जो भी कुछ करना होगा.. मैं जरूर करूंगा। लेकिन मुझे उस जगह जाना होगा.. तभी मैं बता पाऊंगा कि कौन सी पूजा पाठ और अनुष्ठान के करने से हमने इस सब से छुटकारा मिलेगा।"


वैसे तो इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही इन सब बातों में विश्वास नहीं करते थे.. पर खुद अपनी आँखों से ट्रेन, वो विचित्र धुआं जीव, लक्ष्मी के साथ हुई दुर्घटना, वहाँ हुए समय में परिवर्तन और उस प्रकाशित जीव की उपस्थिति देखने के बाद कमल नारायण की हर एक बात विश्वास करने लायक ही थी।



कमलनाथ जी की बात सुनकर इंस्पेक्टर कदंब ने डॉक्टर की तरफ देखते हुए पूछा, "डॉक्टर..! कमल नारायण जी को कब तक डिस्चार्ज कर दिया जाएगा?" 


तभी डॉक्टर ने कमल नारायण जी की तरफ देखते हुए कहा, "वैसे तो हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है पर रिकवरी काफी ठीक हो रही है। फिर भी 2 दिन तक हमें इन्हें यहीं रखना होगा।"


 इंस्पेक्टर कदंब ने डॉक्टर की बात सुनकर कमल नारायण से कहा, "कमल नारायण जी..! आप 2 दिन तक अच्छे से आराम कर लीजिए। उसके बाद आपको हम सभी के साथ मिलकर इस समस्या को जड़ से हटाना है। ताकि जो भी कुछ आप की पोती लक्ष्मी के साथ हुआ वह किसी और लड़की के साथ ना हो!"


 इंस्पेक्टर कदंब की बात सुनते ही कमल नारायण जी ने कहा, "उससे पहले हम उस जीव से मिलना चाहते हैं!"


 जीव के बारे में सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज थोड़े से चिंतित दिखाई दे रहे थे। डॉक्टर के चेहरे पर बहुत ही अजीब से एक्सप्रेशन थे। डॉक्टर के चेहरे को देखकर लग रहा था कि उसे कमल नारायण जी की बात समझ में नहीं आई थी। डॉक्टर ने कन्फ्यूजन से इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखते हुए पूछा, "कमल नारायण जी किस चीज की बात कर रहे हैं.. इंस्पेक्टर?"


 कदंब को समझ में नहीं आ रहा था कि डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए या नहीं। तभी डॉक्टर ने दोबारा से सवाल किया, "आपने बताया नहीं इंस्पेक्टर? कमल नारायण जी इस बारे में पूछ रहे हैं?"


 तभी इंस्पेक्टर कदंब ने एक गहरी सांस लेकर भवानीपुर में आजकल हो रही सारी घटनाओं के साथ-साथ कमल नारायण जी की पोती लक्ष्मी के साथ हुई दुर्घटना और उस विचित्र जीव के बच्चे के बारे में भी बता दिया। जिसे सुनकर डॉक्टर बहुत ही ज्यादा डरा हुआ दिखाई दे रहा था। डॉक्टर के चेहरे पर इतना ज्यादा डर देखकर नीरज ने डॉक्टर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "आप चिंता मत कीजिए डॉक्टर..! हम सभी कोशिश कर रहे हैं कि जितनी जल्दी हो सके यह सब कुछ ठीक हो जाए। आप भी कोशिश कीजिए कि कमल नारायण जी जल्द से जल्द ठीक हो जाए। तो हम सभी मिलकर उस ट्रेन का आना जाना बंद करवा सकें और आगे से किसी के साथ भी कोई दुर्घटना ना हो।"


 डॉक्टर बहुत ही ज्यादा घबराया हुआ था। नीरज की बातें डॉक्टर को समझ में नहीं आ रही थी। तभी इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "डॉक्टर..! आप तो जानते ही हैं कि आपके प्रोफेशन में किसी भी मरीज की जानकारियां किसी और को नहीं दी जाती। हम भी आपसे यही अपेक्षा रखते हैं कि जो बात अभी नीरज ने आपको बताई है वह बात आपके अलावा किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए?" इंस्पेक्टर कदंब की बातों से समझाने के साथ साथ एक धमकी की भी झलक सुनाई दे रही थी।


 डॉक्टर ने अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए कहा, "मैं समझ सकता हूं। यह बात अगर किसी और को पता चली तो शहर की हालात क्या हो सकते हैं? आप निश्चिंत रहिए.. मैं यह बात किसी को नहीं बताऊंगा।"


 "तो फिर आप भी हमारी मदद कीजिएगा!" नीरज ने कहा।


 "कैसी मदद..?" डॉक्टर ने घबराते हुए पूछा।


 "यही कि कमल नारायण जी जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए और हम सभी मिलकर इस समस्या से छुटकारा पा ले।" इंस्पेक्टर कदंब ने कहा।


 "बिल्कुल कमल नारायण जी जल्दी ठीक हो जाएंगे। अभी आप लोग भी रेस्ट कीजिए और कमल नारायण जी को भी रेस्ट करने दीजिए।" डॉक्टर ने कहा।


 डॉक्टर की बात पूरी होते ही इंस्पेक्टर कदंब ने एक नजर कमल नारायण जी पर डाली। जिन्होंने गर्दन हिलाकर हां का इशारा किया। उसके बाद कदंब औ नीरज हॉस्पिटल से बाहर निकल गए।


बाहर आकर नीरज ने जीप स्टार्ट करते हुए पूछा, "सर..! अब तो सोने का सवाल नहीं उठता। तो फिर पुलिस स्टेशन ही चलें?"


 "हां..! पुलिस स्टेशन ही जाएंगे। लेकिन पहले घर चल कर फ्रेश हो लेते है।" इंस्पेक्टर कदंब की बात सुनते ही नीरज ने जीप इंस्पेक्टर कदंब के घर की तरफ मोड़ दी। रास्ते में गाड़ी चलाते हुए नीरज ने पूछा, "सर..! कमल नारायण जी ने बहुत सारे सवालों का जवाब नहीं दिया है। मुझे जानना है कि कमल नारायण जी ने भवानीपुर क्यों छोड़ा? साथ में उन्होंने यह भी नहीं बताया कि जब सबको पता चला कि इन चारों दोस्तों ने आयाम द्वार बनाया था उसी के कारण आत्मानंद, वैदिक और गौतम को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा तो किसी ने कुछ भी नहीं कहा? इवन उनके पैरंट्स ने भी कुछ नहीं?"


 नीरज के सवालों पर इंस्पेक्टर कदंब में घूरते हुए नीरज को देखा और कहा, "तुम्हें लगता है.. यह सही टाइम है यह जानने का के जब सबको पता चला कि तीनों बच्चों की जान कैसे गई? तो क्या हुआ था?"


 "नहीं सर..! मैं तो सिर्फ इस बात में इंटरेस्टेड हूं कि कमल नारायण जी ने भवानीपुर क्यों छोड़ा? कहीं ऐसा तो नहीं की ट्रेन में जो भी जानवर आ जा रहे हैं उसमें भी इनडायरेक्टली ही सही।। कमल नारायण जी का हाथ तो नहीं।"


 नीरज के सवाल को सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब भी सोच में पड़ गए थे।

" हो सकता है कि ट्रेन का किसी न किसी तरीके से कमल नारायण जी से कोई लेना-देना हो..?" इंस्पेक्टर कदंब को सोच में डूबा देख नीरज ने आगे कहा।


 "हो सकता है.. तुम्हें क्या लगता है?" कदंब ने पूछा।


" सर मुझे तो लगता है कि जब सारा मैटर खत्म हो गया था। तब कमल नारायण ने कुछ ना कुछ किया होगा जिससे यह सब कुछ शुरू हुआ?" नीरज ने अपना शक व्यक्त किया।


 "हो सकता है..! हम अभी से यह नहीं सोच सकते कि यही हुआ होगा हो सकता है।  और भी कुछ हुआ हो अब वह तो कमल नारायण जी ही बता पाएंगे कि क्या हुआ है?" इंस्पेक्टर कदंब ने कहा।


 इन्हीं सब बातों में नीरज और कदंब इंस्पेक्टर कदंब के घर पर पहुंच गए थे। वहां जाकर वो लोग फ्रेश हुए और पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए।


 जैसे ही इंस्पेक्टर कदंब ने पुलिस स्टेशन में पैर रखा अरविंद और अनन्या दोनों ही घबराए हुए से पुलिस स्टेशन में बैठे हुए थे। अरविंद और अनन्या को ऐसे अचानक पुलिस स्टेशन आया और इतना घबराया देख इंस्पेक्टर कदंब भी थोड़ा परेशान हो गए थे।

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5 Comments

Punam verma

28-Mar-2022 08:32 AM

बहुत ही बढ़िया मोड़ पर है कहानी ।

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Seema Priyadarshini sahay

02-Mar-2022 04:23 PM

बहुत ही खूबसूरत

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Aalhadini

03-Mar-2022 12:50 AM

Thanks

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Zakirhusain Abbas Chougule

02-Mar-2022 02:16 AM

Very nice

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Aalhadini

03-Mar-2022 12:49 AM

Thank you 🙏

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